Friday, December 26, 2008

सवाल

जब की बात है तब बहुत छोटी तो नही थी मैं , लेकिन जीवन के बीते सालों की संख्या बहुत ज्यादा भी नही हुई थी । सातवी कक्षा में पढ़ने वाली पिछले से पिछले दशक की बच्चीया जितनी छोटी-बडी होती थी ,उतनी ही बड़ी -छोटी मैं भी थी ।
घर के आँगन में माँ ,सन्डे की सुबह सुबह कॉलेज में पढने वाली एक दीदी को इकोनोमिक्स पढ़ा रही थी,पास में मैं भी तन्मय हो कुछ कर रही थी । माँ का कहा एक वाक्य मेरे कान में पूरा उतर गया और मैंने झटके से गर्दन उठाई । वाक्य था ,"दुनिया में हर चीज का ग्राफ पैराबोलिक होता है"। तीन शब्द मैं पहचानती थी ,दुनिया ,दुनिया की हर चीज और ग्राफ । ग्राफ शब्द न सिर्फ़ पहचानती थी ,पढ़ और समझ भी चुकी थी । दूसरे दो शब्द -दुनिया और दुनिय की हर चीज , इन्हे जानने के लिए इनके पीछे पीछे पैदल चलते हुए पुरी पृथ्वी पार कर जाने के उतावले सपने देखती थी ।
तो .....................झटके से उठी मेरी गर्दन ने सवाल किया
मैं - दुनिया की हर चीज क्या है ?
माँ -हर चीज का ग्रफ पैराबोलिक है ।
मैं -पैराबोलिक क्या होता है ?
माँ -पैर बोला अर्ध गोला है ,माने एक बिन्दु से शुरू होता है .धीरे धीरे बढ़ते हुए चरम पर पहुचता है और फिर घटता है और अंत होजाता है।
मैं - दुनिया की हर चीज का ग्राफ पैराबोलिक है ?
माँ -हां ,हर चीज शुरू होती है ,चरम पर पहुँचती है फिर उतने ही धीरे घटती है और एक बिन्दु पर खत्म हो जाती है । (माँ ने बना कर भी दिखाया )
फिर सन्डे की उस सुबह को मैंने गर्म कर दिया। (ये अब पता चलता है )बिना रुके बिना जाने मैंने एक खतरनाक सवाल मां से पूछ डाला । उस वक्त एक दम यूँही बिना जाने शायद ,मैंने पूछा
-क्या प्रेम का ग्राफ भी पैराबोलिक होता है ?
इस बार झटके से गर्दन उठाने की बारी मां की थी । बस मेरी आँखों में सवाल था और मां की आँखों में लाजवाब .............
मैंने फिर पूछा -प्यार का ग्राफ भी पैराबोलिक होता है क्या ?
उन्होंने बिल्कुल जवाब नही दिया । फिर सर झुका कर चेहरा मोड कर (नजरे बचाने को ) कहा ,"पतान्ही ,शायद हो । फ़िर चुप्पी ...(ज्यादा देर नही ),"शायद नही है ",फिर और देर चुप रही और कहा "नही प्यार का ग्राफ पैराबोलिक नही होता "।
इतनी देर लगा कर ,तीन जवाब दिए वो भी धीरे धीरे ,ये तो मैं तभी समझ गई थी की माँ भी चकरा गयी माने सवाल ज्यादा भारी था,चक्करदार लेकिन अब जाके पता चला की क्या पूछ डाला था ....क्या पूछ लिया था ...मुझसे पूछे कोई तो मै .......
तो ?????रिश्तो का ग्राफ भी क्या पैराबोलिक होता है?

३ सहेलिया हैं मेरी ..एक स्कूल और २ कॉलेज की .हालत ये थी की कॉलेज जाने से पहले फ़ोन होता था कॉलेज मिलते थे ,साथ घर आते थे ,फिर शाम को बात करते थे । एक दुसरे के घर १० दिन रुक जाते । अब ....उनका अपना मोबाइल नो। मुझे नही पता ,घर के नम्बर अब भी याद हैं .साल में १ या २ बार मिलते हैं । एक भाई ,दोस्त ,बेटा है ..उससे भी कम मिलती हु बात नही होती लेकिन कोई मलाल कोई दूरी महसूस नही होती ।
तो ........रिस्तो का ग्राफ भी क्या पैराबोलिक होता है ????????